*स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के शौचालयों निर्माण में लापरवाही जिला प्रशासन ने अब ग्राम* प्रधानों को निशाने पर ले लिया है। सभी को नोटिस भेज हिदायत दी जा रही है कि शौचालयों की जियो टैगिंग का काम जल्द पूर्ण कराएं। अन्यथा संबंधित ग्राम प्रधान के वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार छीन वहां त्री-स्तरीय कमेटी विकास कार्यों के लिए गठित की जाएगी।
सख्ती
*शौचालयों की 90 फीसदी से कम जियो टैगिंग पर सख्ती शुरू*
*269 पंचायत सचिव और 20 एडीओ पंचायत का पहले ही रोका जा चुका है वेतन*
*जिले में 90 फीसदी से कम जियो टैगिंग करने वाले पंचायतों से जुड़े 269 पंचायत सचिवों और निगरानी में लापरवाही करने वाले 20 सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) का डीएम ने पहले ही वेतन रोक रखा है। अब जिला पंचायतीराज विभाग ने शौचालयों की जियो टैगिंग के आधार पर ग्राम पंचायतों को तीन श्रेणियों में बांट कर ग्राम प्रधान पर सख्त कदम उठाने की तैयारी में है। ऐसी ग्राम पंचायत जहां 500 से अधिक शौचालयों तक की जियो टैगिंग नहीं की गई है, उन्हें जिलाधिकारी की ओर से नोटिस भेजी जा रही है। जिले में ऐसी 35 ग्राम पंचायतें हैं।*****
300 से 499 के बीच जियो टैंग लंबित रहने वाले 400 ग्राम पंचायतों के ग्राम प्रधानों को सीडीओ अनुज सिंह की ओर से नोटिस भेजा रहा है। 01 से 299 शौचालयों तक की जियो टैगिंग नहीं कराने वाले 800 ग्राम पंचायत के ग्राम प्रधानों को डीपीआरओ की ओर से नोटिस भेजने की तैयारी है।
*सख्ती के बाद 40 हजार शौचालयों के हुए जियो टैग*
जिला पंचायतीराज विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिले में 1.92 लाख ऐसे शौचालय है जिनकी जियो टैगिंग की प्रगति 90 फीसदी से कम थी। सभी पंचायत सचिवों और सहायक विकास अधिकारियों पर सख्ती के बाद 40 हजार शौचालयों की जियो टैगिंग पूरी हो चुकी है। डीएम के. विजयेंद्र पांडियन और सीडीओ अनुज सिंह जियो टैग को लेकर कड़ा रुख अपनाएं हुए हैं।
*और वेतन जारी करने की अपील*
कौड़ीराम के सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) संजय पांडेय ने डीपीआरओ को गुरुवार को आवेदन पत्र देकर वेतन बहाल करने की अपील की। उन्होंने बताया कि उनके विकास खंड में शौचालयों के जियो टैगिंग का प्रतिशत 92 फीसदी से अधिक हो गया है। डीपीआरओ का कहना है कि जियो टैग पूरे करने वालों का रुका वेतन बहाल किया जाएगा।*