*कोरोना महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन के चलते ये सदियों पुरानी परंपरा नहीं टूटी. बल्कि विरोध स्वरुप ऐसा किया गया*
*रिपोर्टर रतन गुप्ता*
*वाराणसी. काशी के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ होगा जब बाबा विश्वनाथ की सप्तऋषि आरती बीच सड़क पर पार्थिव शिवलिंग बनाकर की गई हो. लेकिन कोरोना महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन की वजह से सदियों पुरानी ये परंपरा नहीं टूटी. बल्कि विरोध स्वरुप ऐसा किया गया. रोजाना होने वाली इस आरती को बाबा विश्वनाथ के अर्चकों ने ही किया, लेकिन सड़क पर. प्रधान अर्चक गुड्डू महाराज ने बताया कि उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया, जिसकी वजह से बीच सड़क पर ये आरती विरोध स्वरूप की गई. अर्चकों का आरोप है कि सैकड़ों साल की परंपरा को आज मंदिर प्रशासन ने तोड़ दिया*.
*दरअसल, महंत परिवार और मंदिर प्रशासन के बीच चले आ रहे तनाव की वजह से विवाद एक बार फिर गहरा गया है. बता दें कि मंदिर में सप्तऋषि आरती सैकड़ों सालों से महंत परिवार के जिम्में ही है और 1983 में मंदीर के अधिग्रहण के बाद भी ये जिम्मेदारी इन्ही के कंधों पर रही. लेकिन आज मंदिर प्रशासन ने इन्हें ये करने से रोक दिया. इस विवाद का कारण काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण की वजह से है. जिसमें परिसर में स्थित कैलाश मंदिर के गुम्बद को कॉरिडोर काम करा रहे ठेकेदार द्वारा तोड़ने का आरोप है.जबकि मंदिर से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि निर्माण कार्य को प्रभावित करने के लिए महंत परिवार द्वारा बार-बार अफवाह फैलाई जा रही है कि परिसर में स्थित पुरानी मन्दिरों को तोड़ा जा रहा है.*
*मंदिर प्रशासन अब सप्तऋषि आरती कराएगी जिसे उनके द्वारा नियुक्त किये गए अर्चक किया करेंगे. हालांकि मंदिर प्रशासन ने अभी तक आधिकारिक बयान जारी नही किया है. वहीं इस विवाद के बाद कॉरिडोर का काम कर रहे ठेकेदार द्वारा वाराणसी के दशाश्वमेघ थाने में तहरीर दी गयी है, जिसमें सप्तऋषि करने वाले मुख्य अर्चक और दो पत्रकारों के ऊपर आरोप लगाया गया है कि इन्होंने मंदिर की गुम्बद तोड़ने की गलत अफवाह उड़ाई है. बहरहाल महंत परिवार और मंदिर प्रशासन के बीच चल रहा ये तनाव आज बीच सड़क पर भी दिखा और काशी में सड़क पर सप्तऋषि आरती का एक इतिहास भी बना. भले ही ये आरती विरोध स्वरूप की गई हो लेकिन बाबा पर आस्था रखने वालों के लिए ये विरोध उचित नही लगा.*