*नेपाल दक्षेस की अध्यक्षता पाक को सौंपने को तैयार, सीमा विवाद को लेकर बांग्लादेश का दिया उदाहरण*

*नेपाल दक्षेस की अध्यक्षता पाक को सौंपने के लिए तैयार : ग्यावली*********************************
*विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने कहा कि 2014 से दक्षेस समूह की अध्यक्षता कर रहा नेपाल यह पद पाकिस्तान को सौंपने के लिए तैयार और इच्छुक है। साथ ही उम्मीद जताई कि भारत और पाकिस्तान क्षेत्रीय चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए बातचीत के जरिये अपने मतभेद सुलझा सकते हैं। ग्यावली ने भारत को यह भरोसा भी दिलाया कि नेपाल अपनी धरती का इस्तेमाल किसी पड़ोसी के खिलाफ नहीं होने देगा और नेपाल किसी भी राजनीतिक व कूटनीतिक गतिरोध में हिस्सा नहीं बनेगा।*
ग्यावली ने नेपाली विदेश मंत्रालय में ‘सागरमाथा संवाद’ के बारे में भारतीय पत्रकारों के एक समूह से चर्चा के दौरान कहा कि बीते तीन वर्षों के दौरान भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकवाद के नेटवर्क से क्षेत्र को उत्पन्न सुरक्षा चुनौतियों का हवाला देते हुए स्वयं को दक्षेस से दूर रखा है। पाकिस्तान भी इस समूह का एक सदस्य है। ग्यावली ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान सहित दक्षेस देशों के सभी नेताओं को आमंत्रित किया गया है और नेपाल को क्षेत्र के सभी नेताओं का स्वागत करने में प्रसन्नता होगी ताकि वे क्षेत्र के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा कर सकें।

*उन्होंने कहा कि सभी दक्षेस नेताओं का सागरमाथा में उपस्थित रहना एक शानदार विचार होगा। उन्होंने कहा कि संवाद का नाम विश्व की सबसे ऊंची चोटी सागरमाथा (माउंट एवरेस्ट) के नाम पर रखा गया है, जो कि मित्रता का एक प्रतीक भी है। 2014 में पिछला दक्षेस सम्मेलन काठमांडू में आयोजित हुआ था जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए थे।**

*2016 में दक्षेस सम्मेलन इस्लामाबाद में होना था। हालांकि उसी वर्ष 18 सितम्बर को जम्मू कश्मीर के उरी स्थित एक सैन्य शिविर पर आतंकवादी हमले के बाद भारत ने मौजूदा हालात के मद्देनजर सम्मेलन में हिस्सा लेने में असमर्थता जताई थी। बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान के इस्लामाबाद में आयोजित सम्मेलन में हिस्सा लेने से इनकार के बाद सम्मेलन रद्द कर दिया गया था।*

*बीते वर्ष दिसम्बर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परोक्ष रूप से पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा था कि दक्षेस देशों के बीच व्यापक सहयोग के लिए भारत के प्रयासों को बार-बार आतंकवादी कृत्यों और खतरों से चुनौती मिली है। दिसम्बर में दक्षेस के स्थापना दिवस के मौके पर दक्षेस सचिवालय को लिखे एक पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि क्षेत्र के सभी देशों को आतंकवाद के खतरे और उसे समर्थन देने वाली ताकतों को हराने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए।*

*पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने 35वें दक्षेस चार्टर डे पर दिये अपने संदेश में उम्मीद जताई थी कि दक्षेस की सतत प्रगति में आया ठहराव समाप्त होगा। खान ने कहा कि पाकिस्तान का मानना है कि प्रभावी एवं परिणाम उन्मुखी क्षेत्रीय सहयोग दक्षेस चार्टर में उल्लेखित संप्रभु समानता और पारस्परिक सम्मान के सिद्धांतों का पालन करने से ही हासिल किया जा सकता है। दक्षेस सम्मेलन आमतौर पर द्विवार्षिक आयोजित होता है और इसका आयोजन सदस्य देशों द्वारा वर्णानुक्रम में किया जाता है। सम्मेलन की मेजबानी करने वाला सदस्य देश समूह के अध्यक्ष का पद संभालता है।*

*नेपाल ने पीएम मोदी को सागरमाथा संवाद के लिए किया आमंत्रित*************************************
नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहले सागरमाथा संवाद फोरम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है। अप्रैल में होने वाले इस आयोजन में मोदी को वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय महत्व के सबसे प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए बुलाया गया है। आयोजन में पाक पीएम इमरान खान समेत सार्क देशों के सभी नेताओं को भी बुलाया गया है।

*ग्यावली ने भारतीय पत्रकारों को बदाया कि सागरमाथा संवाद का पहला संस्करण जलवायु परिवर्तन, पहाड़ों और मानवता के भविष्य विषय पर दो से चार अप्रैल तक आयोजित किया जाएगा। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी को आमंत्रित किया है और उनकी पुष्टि का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान समेत दक्षेस देशों के सभी नेता आमंत्रित किए गए हैं।*

*दक्षेस देशों में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं। नेपाल के विदेश मंत्री ने कहा कि इन सभी क्षेत्रीय नेताओं की मेजबानी कर नेपाल को खुशी होगी ताकि क्षेत्रीय चनौतियों पर सभी एक दूसरे से विचार-विमर्श कर सकें।*
जलवायु संकट से निपटना मुख्य मकसद
ग्यावली ने बताया कि दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत सागरमाथा (माउंट एवरेस्ट) के नाम पर इस कार्यक्रम का नाम संवाद रखा गया है जो दोस्ती का प्रतीक है । नेपाल के विदेश मंत्री ने बताया कि इस संवाद का मुख्य उद्देश्य जलवायु संकट और इसके दुष्प्रभाव से निपटने के लिए राजनीतिक नेताओं की दृढ़ इच्छाशक्ति को बढ़ावा देने के लिए आपस में एक आम सहमति बनाना है।

* *नेपाल को उम्मीद, सात करोड़ रुपये के 500, 1000 के पुराने नोट वापस लेगा भारत************************************
*नेपाल के केंद्रीय बैंक के पास सात करोड़ रुपये के बंद हो चुके 500 और 1000 रुपये के भारतीय नोट पड़े हैं। उसे उम्मीद है कि इसे वापस लेने के लिए भारत जल्द कदम उठाएगा। नेपाल के विदेश मंत्री ने कहा कि भारत इन नोटों को वापस लेने के लिए व्यवस्था नहीं कर रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि पड़ोसी देश जल्द बंद नोटों को वापस लेने के लिए कदम उठाएगा।*

*भारत सरकार ने आठ नवंबर 2016 को 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट बंद करने की घोषणा की थी। ग्यावली ने कहा कि हमारे केंद्रीय बैंक के पास सात करोड़ रुपये के बंद हो चुके भारतीय नोट पड़े हैं। ये बैंकिंग चैनल के जरिये आए हैं। मुझे पता नहीं कि भारत इन्हें वापस लेने की व्यवस्था क्यों नहीं कर रहा है। नोटबंदी की घोषणा से नेपाल और भूटान प्रभावित हुए थे क्योंकि दोनों देशों में भारतीय मुद्रा का व्यापक इस्तेमाल होता है।*

*ग्यावली ने कहा कि हम अनौपचारिक तरीके से आए नोटों की बात नहीं कर रहे हैं। हम उन नोटों की बात कर रहे हैं जो बैंकिंग माध्यम से आए हैं। मैं भारत से इस लंबित मुद्दे को सुलझाने का आग्रह कर रहा हूं।*****************************************

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