*रामालय ट्रस्ट के सचिव अविमुक्तेश्वरानंद रविवार को अयोध्या पहुंचे। इस दौरान उन्होंने जानकी महल के महंत जन्मेजय शरण और रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के साथ मंदिर मॉडल के कच्चे नक्शे पर गहन मंत्रणा की।*
*गौरतलब है कि इससे पहले अविमुक्तेश्वरानंद ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर ट्रस्ट को भूमि सौंप देने की मांग की है। रविवार को उन्होंने कहा कि रामलला तिरपाल में बैठे हैं और मंदिर बनने में अभी काफी समय लगेगा इसलिए देश के संत-महंतों के साथ विचार-विमर्श कर निर्णय लिया गया है कि भव्य मंदिर बनने से पहले एक सोने का विशालतम मंदिर बनवाकर रामलला को वहां विराजमान कर दिया जाए। इसके लिए चेन्नै के प्रसिद्ध कारीगरों से नक्शा बनवाया गया है। उन्होंने कहा कि संतो के एकमत होते ही काम शुरू हो जाएगा।*
*कंबोडिया के ओंकारवाट से भी बड़ा हो रामलला का मंदिर********************************
अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया 500 सालों के संघर्ष के बाद राम की जन्मभूमि में मंदिर बनाने का अवसर आया है। सभी सनातनियों का मानना है कि भगवान राम का मंदिर इतना भव्य बने जो अभी तक दुनिया में किसी ने न देखा हो। उन्होंने कहा अभी तक कंबोडिया के अंकोरवाट मंदिर को विश्व का सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है, जिसके निर्माण में आर्यन शैली का प्रयोग हुआ है। उन्होंने इच्छा जाहिर करते हुए कहा कि दक्षिण और उत्तर का सामंजस्य करके वास्तु विधान और शास्त्र की विधि से एक भव्य सोने का दिव्य मंदिर बनाने की योजना है, जिसका शिखर 1008 फीट ऊंचा होगा, जिसमें एक साथ 1 लाख 1 हजार लोग बैठकर भगवान का प्रसाद ग्रहण कर सकें।
अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि फैसले में साफ तौर से लिखा गया है मंदिर बनाने के उद्देश्य से जो ट्रस्ट पहले से बने हैं, उन्हीं में से उचित ट्रस्ट चुन कर जमीन हैंडओवर कर दिया जाए। ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि सरकार नए ट्रस्ट का ही गठन करे।
*वीएचपी का मंदिर मॉडल छोटा*
*अविमुक्तेश्वरानंद ने विश्व हिंदू परिषद के मंदिर मॉडल को सिरे से खारिज नहीं किया। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि देश के सभी संतो ने प्लॉट मिल जाने के बाद नक्शा बनवाने की सलाह दी थी। उन्होंने जल्दबाजी में काम शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने भी रामलला का भव्य मंदिर गगनचुम्बी होने की बात कही है। ऐसे में वीएचपी का 130 फीट ऊंचा मॉडल क्या आकाश चूम पाएगा? उन्होंने कहा कि वीएचपी के मॉडल में वह दिव्यता नहीं है। इस मॉडल को बनने वाले मंदिर में समायोजित किया जा सकता है क्योंकि कारसेवकों की इस मॉडल से भावनाएं जुड़ी हैं।*
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