*पंo दिनेश चन्द्र पाठक की विशेष रिपोर्ट*
महादेव की कृपा पाने के लिए महाशिवरात्रि पर अवश्य करें ये काम
भोले नाथ के भक्त साल भर उस ख़ास दिन का इंतज़ार करते हैं जब वो अपनी श्रद्धा-भक्ति से भगवान शिव को प्रसन्न कर सकें और बदले में सालभर शिवजी की कृपा प्राप्त कर सकें। तो आइये जानते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की भक्ति से कैसे आपको भी मिल सकता है उनका अनुपम वरदान। इस दिन भगवान शिव के रुद्राभिषेक की भी प्रथा है।
हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि के त्यौहार को लेकर अनेकों तरह की पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि इसी दिन भगवान शिवलिंग रूप में प्रकट हुए थे। यही वजह है जिसके चलते भगवान शिव के निराकार से साकार रूप में अवतरण की इस रात को महा-शिव *रात्रि* कहा जाता है। हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। हालाँकि वहीं अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह तारीख फरवरी और मार्च के महीने में आती है।
इस वर्ष महाशिवरात्रि 21 फ़रवरी 2020, शुक्रवार को मनाई जाएगी। इस दिन रुद्राभिषेक का भी बहुत महत्व माना गया है। कहते हैं कि इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से रोग, किसी भी तरह का कोई दुःख और तमाम कष्टों का नाश हो जाता है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव से सच्चे मन से जो भी माँगा जाता है वो उसे अवश्य ही पूरा करते हैं।
महाशिवरात्रि पूजन मुहूर्त
निशीथ काल पूजा मुहूर्त | 24:09:17 से 24:59:51 तक |
अवधि | 0 घंटे 50 मिनट |
महाशिवरात्रि पारणा मुहूर्त | 06:54:45 से 15:26:25 तक 22, |
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ऐसे करें उनकी पूजा
भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने का एक बेहद सरल और सटीक उपाय बताया गया है और वो है भगवान शिव का रुद्राभिषेक। रुद्राभिषेक से भगवान शिव ना सिर्फ प्रसन्न होते हैं बल्कि इससे वो अपने भक्तों पर साल भर अपनी कृपा भी बनाये रखते हैं।
महाशिवरात्रि के दिन इस पूजन विधि से भगवान शिव की करें आराधना :
- महाशिवरात्रि के दिन हो सके तो व्रत रखें और दिन में केवल फल और दूध ग्रहण करें।
- इस दिन भगवान शिव की पूजा के दौरान शिव पुराण का पाठ करें, महा-मृत्युंजय मन्त्र का जाप करें, और ‘ॐ नमः शिवाय’ मन्त्र का शांत मन से जाप करें। इसके अलावा इस रात में जागरण करना भी अत्यधिक फलदायी बताया गया है। तो अगर मुमकिन हो तो महाशिवरात्रि की रात जागरण अवश्य करें।
- इसके अलावा रात के चारों पहरों में भगवान शिव का अभिषेक और आराधना करें। हालांकि निशीथ काल में शिव पूजन का विशेष महत्व बताया जाता है।
महाशिवरात्रि का महत्व
जब माता पार्वती ने भगवान शंकर से पूछा कि, ऐसा कौन सा व्रत है जो भक्तों को सर्वोत्तम भक्ति और पुण्य प्रदान करने वाला होता है? तब भगवान शिव ने जवाब में महाशिवरात्रि के ही व्रत-उपवास का वर्णन किया था। माता पार्वती के सवाल के जवाब में भोलेनाथ ने बताया था कि, ‘जो कोई भी भक्त महाशिवरात्रि का व्रत करता है और इस दिन विधि-विधान से मेरी पूजा करता है, वो मेरी प्रसन्नता अवश्य प्राप्त कर लेता है। इस व्रत-पूजा के प्रभाव से इंसान के सभी दुःख-दर्द भी गायब हो जाते हैं। इस दिन को आदि शक्ति के मिलन की रात्रि भी कहा जाता है, ऐसा इसलिए क्योंकि मान्यता के अनुसार इसी दिन भगवान शिव और आदि शक्ति का विवाह हुआ था।
ज्योतिष शास्त्र में महाशिवरात्रि का महत्व
हिंदू धर्म के अनुसार चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं, यही वजह है कि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा यहाँ ये भी जानना बेहद ज़रूरी है कि वैदिक ज्योतिष में चतुर्दशी तिथि को बेहद शुभ बताया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन चंद्रमा सूर्य के सबसे समीप होता है। यह वह समय होता है जब जीव रूपी चंद्रमा का शिवरूपी सूर्य के साथ मिलन होता है। इसलिए इस दिन शिव पूजन से शुभ फल की प्राप्ति होती है। भगवान शिव काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि विकारों से मुक्त करके परम सुख, शांति और ऐश्वर्य प्रदान करते हैं।
महाशिवरात्रि से जुड़ी पौराणिक कथा
महाशिवरात्रि से जुड़ी यूँ तो कई कथाएं प्रचलित हैं लेकिन इनमें से एक कथा जिसका ज़िक्र गरूड़ पुराण में भी किया गया है जिसके अनुसार, ‘एक बार की बात है जब एक निषादराज अपने कुत्ते के साथ शिकार खेलने गए थे। काफी देर भ्रमण करने के बाद भी उन्हें कोई शिकार नहीं मिला। काफी देर हो चुकी थी ऐसे में थकान महसूस होने के बाद भूखा-प्यासा निषादराज एक तालाब के किनारे गया जहाँ एक बिल्व वृक्ष था जिसके नीचे एक शिवलिंग मौजूद था। यहाँ पहुंचकर उसने कुछ बिल्व-पत्र तोड़े, जो शिवलिंग पर भी गिर गए। इसके बाद जब उसने अपने पैरों को साफ़ करने के लिए उनपर तालाब का जल छिड़का, तो पानी की कुछ बून्दें शिवलिंग पर भी जा गिरीं। ऐसा करते समय उसका एक तीर नीचे गिर गया जिसे उठाने के लिए वह शिवलिंग के सामने नीचे को झुका। इस तरह शिवरात्रि के दिन शिव-पूजन की पूरी प्रक्रिया उसने अनजाने में ही पूरी कर ली। इसके बाद जब निषादराज की मृत्यु के बाद यमदूत उसे लेने आए, तब तो शिव के गणों ने उनकी रक्षा करते हुए यमराज को हटा दिया।ऐसे में आप खुद ही सोचिये कि जब अनजाने में महाशिवरात्रि की पूजा का भगवान शंकर इतना अद्भुत फल देते हैं, तो समझ-बूझकर और पूरी विधि-विधान से की गयी महादेव का पूजन कितना अधिक फलदायी होगा।