*STF की जांच में खुलासा: जो अधिकारी कराते थे वसूली, उन्हीं को सौंपी जाती थी जांच*
*नौतनवा कस्टम ओबरलोडिग टको को सुपरबिजन के नाम पर लेती.है 500 प्रति टेलर ,टक और नेपाल टाफिक पुलिस कस्टम गेट पर.लेती.है 1000 नेपाली बाडर पर चल रहा है ओबरलोलिग का खेल *
*ओवरलोड ट्रकों से वसूली करने के जिन आरोपितों अब पकड़ा गया है, वे एक साल पहले ही पकड़ में आ सकते थे। तब कार्रवाई के लिए अधिकारी गंभीर नहीं हुए। गोरखपुर ट्रांसपोर्ट यूनियन की शिकायत पर सीएम दफ्तर से डीएम के पास जांच का आदेश आया था। डीएम ने जांच उसी आरटीओ महकमे को सौंप दी थी, जिसकी बदौलत वसूली का धंधा संचालित हो रहा था। शायद यही वजह थी कि जांच में कुछ भी सामने नहीं आ पाया और लीपापोती कर जांच की फाइल ही बंद कर दी गई।*
*वहीं जांच एक बार फिर शुरू हुई और एजेंसी बदली तो पूरा प्रकरण खुलकर सामने आ गया है। एसटीएफ गुडवर्क कर पीठ थपथपा रही है तो दूसरी ओर आरटीओ के अधिकारी सबूत न होने की दलील देकर खुद को निर्दोष ठहरा रहे हैं। उधर, अब पूरा मामला खुलने के बाद शिकायतकर्ता भी इस पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।*
*जानकारी के मुताबिक शासन के आदेश पर एसटीएफ ने पूरे प्रकरण की जांच की। मामला खुला तो मधुबन होटल के मालिक धर्मपाल, सिब्बू सिंह समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया गया। उनके पास बरामद डायरी से प्रदेश में ओवरलोड ट्रकों से वसूली के मामले में गोरखपुर के एआरटीओ एसपी श्रीवास्तव, कुशीनगर के एआरटीओ संदीप कुमार पंकज, संतकबीर नगर के एआरटीओ केएन सिंह, देवरिया के आरटीओ चतुर्वेदी समेत कई अन्य जिलों के परिवहन अधिकारियों के नाम उजागर हुए हैं। इस मामले में शुक्रवार को बेलीपार थाने में दर्ज एफआईआर में इन सभी अधिकारियों के नाम शामिल हैं। एसटीएफ की शुरुआती जांच में सामने आया है कि जांच के घेरे में आए अधिकारी अपने सगे-संबंधियों की मदद से वसूली कराते थे।*
होटल की आड़ में चला रहे थे अवैध वसूली का कारोबार
मधुबन होटल धर्मपाल सिंह, अपने मित्र सिब्बू सिंह, विवेक सिंह, श्रवण कुमार गौड़, रामसजन, शैलेश मल्ल के साथ मिलकर वसूली कराता था। शिकायतकर्ता ने तभी आरोप लगाया था कि होटल की आड़ में अवैध वसूली का धंधा चल रहा है। पूरा नेटवर्क कैसे चल रहा है, उसकी भी शिकायत की गई थी। मगर तब अधिकारियों ने उस पर गंभीरता नहीं दिखाई। जांच के नाम पर सिर्फ खानापूरी की गई और अब जब शासन स्तर से एसटीएफ को जांच सौंपी गई तो मामला खुलकर सामने आया।
*गोरखपुर की अन्विशा नाम से भी हुई थी शिकायत
गोरखपुर निवासी अन्विशा के नाम से भी आईजीआरएएस पर एक शिकायत करीब आठ महीने पहले हुई थी। उसमें भी मधुबन होटल का जिक्र करते हुए ओवरलोड ट्रकों से वसूली को उजागर किया गया था। तब भी जांच के लिए निर्देश मिला। आरटीओ महकमे ने ही जांच भी की। अब खुद की जांच में स्वयं को दोषी साबित करना संभव नहीं था। इस वजह से इस जांच को भी बंद कर दिया गया। हालांकि इस जांच को बंद करने के पीछे अधिकारियों का तर्क था कि अन्विशा का कोई नाम पता नहीं है, इस वजह से संपर्क नहीं हो पाया।*
*यह है मामला*…
एसटीएफ ने जांच के बाद 24 जनवरी को मधुबन होटल के मालिक धर्मपाल सिंह समेत छह लोगों को गिरफ्तार कर ओवरलोड ट्रकों से वसूली का भंडाफोड़ किया था। इस मामले में पुलिस ने आरोपितों के पास से डायरी बरामद की थी, जिसमें कई आरटीओ, एआरटीओ, सिपाहियों के नाम सामने आए। बेलीपार थाने में 24 पन्ने की फर्द बनानी पड़ी। फर्द लिखने के बाद शुक्रवार आधी रात को एसटीएफ ने बेलीपार थानेदार को सुपुर्द किया। वहीं थाने की जीडी में एफआईआर दर्ज होते-होते सुबह हो गई। शनिवार को ही पुलिस ने आरोपितों को कोर्ट में पेश किया, जहां से उनको जेल भेजा था।
*ट्रक पर समान लोड करने का मानक*
10 चक्का : 28 टन
12 चक्का : 35 टन
14 चक्का : 42 टन
18 चक्का : 45.5 टन
22 चक्का : 55 टन।