*प्रयागराज: एक बार फिर माघ मेले से तय होगी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की भूमिका, साधु-संतों ने उठाई ये मांग*

*राम मंदिर पर फैसला आने के बाद पहली बार होने जा रही इस बैठक में राम मंदिर के निर्माण पर जहां विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय मार्ग दर्शक मंडल की बैठक में बड़े प्रस्ताव पास किए जाने की उम्मीद जतायी जा रही है. वहीं संत सम्मेलन में उन प्रस्तावों पर भी मुहर लगेगी*

प्रयागराज: एक बार फिर माघ मेले से तय होगी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की भूमिका, साधु-संतों ने उठाई ये मांग

*प्रयागराज. अयोध्या विवाद (Ayodhya Dispute) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का फैसला 9 नवम्बर 2019 को राम मंदिर (Ram Temple) के पक्ष में आने के बाद पहली बार संगम की धरती पर साधु-संतों का जमावड़ा माघ मेले (Magh Mela) में होने जा रहा है. माघ मेले में ही लगने वाले विश्व हिन्दू परिषद (VHP) के शिविर में 20 जनवरी को केन्द्रीय मार्ग दर्शक मंडल की बैठक होगी और उसके अगले दिन ही 21 जनवरी को संत सम्मेलन भी होगा. जिसमें देश के कोने-कोने से आये साधु संत शिरकत करेंगे. राम मंदिर पर फैसला आने के बाद पहली बार होने जा रही इस बैठक में राम मंदिर के निर्माण पर जहां विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय मार्ग दर्शक मंडल की बैठक में बड़े प्रस्ताव पास किए जाने की उम्मीद जतायी जा रही है. वहीं संत सम्मेलन में उन प्रस्तावों पर भी मुहर लगेगी.***

*2001 में कुम्भ के दौरान पास हुआ था राम मनिदर का प्रस्ताव*
प्रयागराज की धरती से ही वर्ष 2001 के कुम्भ के दौरान पहली बार अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का प्रस्ताव विहिप की धर्म संसद में पास हुआ था. इस धर्म संसद में राम मंदिर का प्रस्ताव विहिप नेता आचार्य धर्मेन्द्र ने रखा था, तो वहीं इस धर्म संसद में विहिप के अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंहल, गोरखनाथ मठ के पीठाधीश्वर महंत अवैद्य नाथ, विहिप के नेता विष्णु हरि डालमिया और प्रवीण भाई तोगड़िया भी मौजूद थे. इसके साथ ही संघ के विचारक भी मौजूद थे. इस बैठक में प्रस्ताव पास हुआ था कि साल के अंत तक मंदिर का निर्माण न शुरु होने पर संत मंदिर निर्माण के लिए खुद अयोध्या जायेंगे.

*एक बार फिर संगम की धरती से तय होगी मंदिर निर्माण की भूमिका*

*इसके बाद से ही समय-समय पर मंदिर आन्दोलन की प्रयागराज के माघ मेले और कुम्भ से दशा और दिशा तय होती रही. यहां से मंदिर के लिए कारसेवा शुरु करने का भी बड़ा फैसला साधु-संतों ने लिया. विहिप ने भी इस पूरा आन्दोलन में साधु-संतों को आगे रखा और उनके द्वारा प्रस्तावों पर मुहर लगने के बाद आन्दोलन को गति प्रदान की. अब जबकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है और तीन माह के अंदर ट्रस्ट का गठन होना है. ऐसी उम्मीद की जा रही है ट्रस्ट के गठन से लेकर साधु संत और विहिप खुद इस मंदिर निर्माण में अपनी भूमिका को एक बार फिर से संगम की धरती से ही तय करेगा*.

*ट्रस्ट में शामिल करने की मांग*

वहीं साधु संत यह मानते हैं कि मंदिर आन्दोलन में जिन पूज्य संतों और संगठनों, राजनेताओं का सहयोग और सानिध्य मिला उन्हें ट्रस्ट में शामिल किया जाना चाहिए. जबकि विहिप का साफ तौर मामना है कि केन्द्रीय मार्ग दर्शक मंडल की बैठक में निश्चित तौर पर बड़ा निर्णय हो सकता है. विहिप नेताओं के मुताबिक अयोध्या में प्रस्तावित राममंदिर मॉडल पर ही भव्य मंदिर का निर्माण होना चाहिए. उनके मुताबिक उसके अलावा कोई दूसरा मॉडल राम भक्तों को स्वीकार नहीं होगा. क्योंकि इस मॉडल को लेकर विहिप ने पूरे देश में लोगों के बीच जाकर जनजागरण किया है.****************************************

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