*रिपोर्टर रतन गुप्ता.सोनौली./नेपाल / Fri, 27 Sep 2019
*गोरखपुर के आर्यनगर में 102 साल से हो रही रामलीला जिस जमीन पर होती है उसका एक हिस्सा जाहिद अली से दान में मिला था। वर्ष 1914 में शहर के रईस गिरधरदास और बाबू पुरुषोत्तम दास ने रामलीला की नींव रखवाई। 1917 में विधिवत रामलीला होने लगी। उस समय आर्य नगर में मानसरोवर के पास उनकी निजी जमीन थी। रामलीला नवरात्र के एक दिन पहले पितृपक्ष की चतुर्दशी को शुरू होती है। मानसरोवर रामलीला मैदान में यह रामलीला आयोजित की जाती है। ***
*बताते हैं कि उसी जमीन से सटे जाहिद अली की भी जमीन थी। तीन चौथाई जमीन गिरधर बाबू और पुरुषोत्तम बाबू ने रामलीला मैदान के नाम पर दान में दी। उसी से सटी हुई एक चौथाई जमीन जाहिद अली सब्जपोश की थी। जिसे रामलीला के नाम से दान में देने का अनुरोध गिरधरदास और पुरुषोत्तम दास ने किया। दोनों के अनुरोध पर जाहिद अली ने बिना देर किए अपनी जमीन दान में दे दी। 102 सालों से उस जमीन पर रामलीला की परम्परा चल रही है जो आज भी जारी है।*
*भगवान राम का तिलक करने की परम्परा
रामलीला समिति के महामंत्री पुष्पदंत जैन ने बताया कि रामलीला की शुरुआत इस क्षेत्र में इसलिए की गई थी कि पूरे गोरखपुर में बर्डघाट पर ही केवल रामलीला होती थी, सभी लोग वहां जा नहीं पाते थे। विजयादशमी के दिन गोरक्षपीठाधीश्वर का विजय यात्रा निकलती है जो अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित होता है। इस रामलीला में ब्रम्हलीन महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज हाथी के ऊपर पालकी से सवार होकर भगवान राम का तिलक करने आते थे । उनके बाद ब्रम्हलीन महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज हाथी के ऊपर पालकी से सवार होकर भगवान राम का तिलक करने आते थे । इसी परम्परा में अब वर्तमान* गोरक्षपीठाश्वर पीठाधीश्वर रथ पर सवार होकर रामलीला मैदान पहुंचते हैं और भगवान राम को तिलक कर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हैं। इस बार गोरक्षपीठाधीश्वर व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भगवान राम का तिलक करेंगे। यह तीसरा मौका होगा जब यहां मुख्यमंत्री द्वारा भगवान राम का तिलक किया जाएगा।*
*दो रुपए मिलता था चंदा*
*श्री रामलीला समिति आर्यनगर की शुरुआत वर्ष 1914 में गिरधरदास और पुरुषोत्तम दास ने की थी। कमेटी के महामंत्री पुष्पदंत जैन ने बताया कि उस समय रामलीला कराने का कुल खर्च लगभग 500 आता था। 1980 के दशक में यह 15 से 20 हजार रुपए तक हो गया। वर्तमान में लगभग सात लाख रुपए खर्च होते हैं।*
*वृंदावन से आयी मंडली*
*इस साल आर्यनगर की ऐतिहासिक रामलीला का मंचन करने के लिए वृंदावन से कलाकारों की मंडली आयी हैं। जो गोरखपुर के दर्शकों रामचरित्र मानस के आधार पर राम की कहानी से परिचित करायेगी। दल के अध्यक्ष श्रीराम शर्मा निमाई जी ने बताया कि ये कलाकार पूरे साल धार्मिक आयोजनों में ही रमें रहते हैं। सितम्बर से दिसम्बर पर देश के अलग-अलग स्थानों में रामलीला का मंचन करते हैं। इसके बाद कृष्ण लीला, भागवतकथा का मंचन किया विविध स्थानों पर किया जाता है। ***
*हिन्दू मुस्लिम एकता की प्रतीक*
*आर्यनगर की रामलीला हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल है इस रामलीला को शुरू करने के पीछे इसी एकता की कहानी छिपी है। रामलीला मैदान के तीन हिस्से जमीन मेरी थी और एक चौथाई जमीन बाबू जाहिद अली सब्जबोश साहब की थी। बाबूजी ने उनसे कहा कि हम लोग रामलीला शुरू करने जा रहे हैं, आप हमे अपनी जमीन दे दें। जाहिद अली ने अपनी जमीन रामलीला के लिए दे दी।*
*रेवती रमण दास, अध्यक्ष, रामलीला समिति*
*इस बार की रामलीला सबसे आकर्षक
जिस समय यह रामलीला शुरू हुई, उस समय मनोरंजन के साधन बहुत सीमित थे। रामलीला आस्था की चीज तो थी ही, लोगों का भरपूर मनोरंजन भी होता था। रामलीला को इस बार आकर्षक बनाने की कोशिश की गई है।27 सितम्बर से 9 अक्टूबर रामलीला का मंचन होगा।*
*विकास जालान , प्रवक्ता , रामलीला समिति*