एस पी न्यूज(सवांददाता)*गोरखपुर जिला जेल में आज भी टू जी को सेवा के सहारे सुरक्षा व्यवस्था है। जेल का जैैैैमर फोर जी सिम को ब्लाक नहीं कर पाता है इसलिए कैदी जेल के भीतर भी फोन का इस्तेमाल करते हैं*। *गोरखपुर, फोर जी के दौर में जेल की सुरक्षा व्यवस्था टू जी जैमर के भरोसे है। जेल परिसर में मोबाइल नेटवर्क को बंद करने के लिए फोर जी का जैमर लगाने की प्रक्रिया तीन साल से चल रही है। कई बार प्रस्ताव भेजने के बाद भी मुख्यालय से बजट जारी नहीं हुआ। जेल में लगे टू जी के जैमर केवल दिखावे के ही रह गए हैं*।
*बंदियों के पास से 110 से ज्यादा मोबाइल और सिमकार्ड बरामद हुआ था*
*अक्टूबर 2016 में तत्कालीन जेलर डॉ. राजेश सिंह ने गोरखपुर जेल बंदियों के पास से 110 से ज्यादा मोबाइल और सिमकार्ड बरामद किया था। इस बरामदगी से शासनस्तर पर हड़कम्प मच गया था। बरामदगी से बौखलाए बंदियों ने एक बंदी की मौत के बहाने जेल में बवाल कर दिया। 12 घंटे से अधिक वक्त तक जेल को अपने कब्जे में रखा। मामला शांत होने के बाद शासन ने जेल के अंदर मोबाइल नेटवर्क को जाम करने के लिए टू जी के दो जैमर लगवाए। लेकिन जैमर लगने के बाद भी जेल से फोन पर धमकी की कुछ घटनाएं सामने आई। जांच करने पर पता चला कि टू जी का जैमर थ्री जी और फोर जी के नेटवर्क को जाम करने में सक्षम नहीं है।*
*बैरक नंबर 10 और 14 के पास लगा है जैमर*
*जिला कारागार के बैरक नम्बर 10 और 14 के पास जैमर लगा है। यह दोनों जैमर की क्षमता जेल के बैरक तक की है। यह केवल टू मोबाइल नेटवर्क पर ही प्रभावी होता है। थ्री जी और फोर जी का नेटवर्क यहां भी काम करता है।*जेल परिसर में फोर जी नेटवर्क को जाम करने के लिए जैमर लगाने के लिए प्रस्ताव मुख्यालय को भेजा गया है। बजट मिलते ही जैमर लग जाएगा। परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम है। – डॉ. रामधनी, वरिष्ठ जेल अधीक्षक।*
जिला सवांददाता-रतन गुप्ता की रिपोर्ट