*क्यों खास है 21 जून का सूर्य ग्रहण, जानें वजह और प्रभाव!*

कोरोना काल का यह समय हम सभी के जीवन को पूरी तरह से प्रभावित कर चुका है, ऐसे में साल के सबसे बड़े दिन यानि 21 जून को पहला सूर्य ग्रहण लगने वाला है। इस बेहद खतरनाक ग्रहण का प्रभाव आपके जीवन के हर क्षेत्र पर अलग-अलग तरह से पड़ेगा। सूर्य ग्रहण को खगोल विज्ञान और ज्योतिष विज्ञान दोनों में ही बहुत महत्वपूर्ण घटना माना जाता है। जिस प्रकार चंद्रग्रहण का महत्व है, उससे भी अधिक महत्व सूर्य ग्रहण का माना गया है क्योंकि चंद्र ग्रहण का प्रभाव थोड़े समय के लिए होता है। जबकि सूर्य ग्रहण का प्रभाव लंबे समय तक होता है।

कुछ लोगों का मानना है कि लगभग छह महीने तक सूर्य ग्रहण का प्रभाव महसूस हो सकता है। इससे पूर्व दिसंबर 2019 में सूर्य ग्रहण पड़ा था, जिसके बारे में अनेक विद्वानों का यह मानना है कि उसी के प्रभाव से कोरोनावायरस जैसी समस्या शुरू हुई थी। अब एक बार फिर सूर्य ग्रहण आ रहा है। तो यह क्या प्रभाव दिखाएगा, इसी गुत्थी को सुलझाने का प्रयास हमने इस आलेख में किया है। इसको पढ़कर आप यह जान पाएंगे कि यह सूर्य ग्रहण क्यों इतना खास है और क्या है इससे जुड़ी विशेषता।

*साल के सबसे बड़े दिन होगा कंकण (चूड़ामणि) सूर्य ग्रहण*

21 जून साल का सबसे बड़ा दिन माना जाता है और इसी दिन पड़ने वाला सूर्य ग्रहण बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि सूर्य ग्रहण सूर्य के ही दिन अर्थात रविवार को पड़ रहा है, जिसकी वजह से इसको चूड़ामणि सूर्य ग्रहण के नाम से भी जाना जाता है। यह सूर्य ग्रहण 21 जून 2020 को रविवार के दिन घटित होगा और भारत में भी दिखाई देगा। हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि को यह सूर्य ग्रहण मिथुन राशि और मृगशिरा नक्षत्र में घटित होगा।

यह ग्रहण प्रातः काल 9:15:58 पर प्रारंभ होगा। इसका कंकण 10:17:45 से शुरू हो जाएगा तथा परम ग्रास अर्थात् मध्य भाग दोपहर 12:10:04 तक रहेगा और कंकण की समाप्ति दोपहर 2:02:17 पर होगी, जिसके बाद दोपहर 3:04:01 पर ग्रहण समाप्त हो जाएगा। इस प्रकार इस ग्रहण की कुल अवधि लगभग साढ़े तीन घंटे की होगी और उसमें भी कंकण होने की अवधि लगभग 38 मिनट होगी। इस प्रकार यह एक बड़ा सूर्य ग्रहण होगा जिसका विस्तृत प्रभाव अनेक स्थानों पर दिखाई पड़ेगा।

*कहां कहां देखा जाएगा 21 जून का सूर्य ग्रहण*

हिंदू पंचांग के अनुसार यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा और भारत में दिखाई देने वाला साल 2020 का यह एकमात्र सूर्य ग्रहण होगा। यह ग्रहण भारत के अलावा प्रशांत और हिंद महासागर, मध्य दक्षिणी चीन, फिलीपींस, बर्मा, फ़िजी, दक्षिण पूर्वी यूरोप, दक्षिणी क्षेत्र को छोड़कर लगभग अफ्रीका में, ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी क्षेत्रों और पाकिस्तान तथा अफ़गानिस्तान में अर्थात् मध्य पूर्वी एशिया में भी दिखाई देगा।

*साल 2020 में होंगें कुल 6 ग्रहण*

यह साल काफी खास रहने वाला है क्योंकि इस साल में कुल 6 ग्रहण घटित होने वाले हैं। इनमें पहला चंद्र ग्रहण 10 – 11 जनवरी को घटित हो चुका है। उसके बाद दूसरा चंद्र ग्रहण 5 – 6 जून को हो चुका है। अब 21 जून को सूर्य ग्रहण पड़ेगा और उसके बाद तीसरा चंद्र ग्रहण 5 जुलाई को होगा। साल का अंतिम चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को देखा जा सकेगा और साल के अंत में 14 दिसंबर को सूर्य ग्रहण पड़ेगा। इस प्रकार इस साल 4 चंद्र ग्रहण और 2 सूर्य ग्रहण घटित होंगे और कुल मिलाकर इस एक साल में छह ग्रहण दिखाई देंगे। इन सभी में 21 जून को पड़ने वाला सूर्य ग्रहण सबसे महत्वपूर्ण है।

*क्या होता है सूर्य ग्रहण*

यदि वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात करें तो सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है। इस क्रम में सूर्य ग्रहण तब घटित होता है, जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में से चंद्रमा होकर गुजरता है। ऐसी स्थिति में सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक सीधा नहीं आ पाता। ज्योतिष के क्षेत्र में ग्रहण को महत्वपूर्ण समय माना गया है क्योंकि प्रत्येक ग्रहण का गहन प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है। चंद्रमा को मानव का मन तो सूर्य को मानव की आत्मा कहा गया है। इस प्रकार इन दोनों पर लगने वाला ग्रहण मानव जीवन को भी प्रभावित करता है और यही वजह है कि विभिन्न राशियों पर ग्रहण का अलग-अलग प्रभाव पड़ता है।

*सूर्यग्रहण का सूतक काल विचार*

सूर्य ग्रहण का सूतक लगभग 12 घंटे पहले मान्य होता है, इसलिए इस सूर्य ग्रहण का सूतक 1 दिन पहले अर्थात् 20 जून 2020 की रात्रि को लगभग 9:16 से शुरू हो जाएगा और इस दौरान सभी मंदिर और धार्मिक तीर्थ स्थानों के कपाट बंद कर दिए जाएंगे।

*ग्रहण काल में क्या करें*

सूर्य ग्रहण प्रारंभ होने से पहले ही स्नानादि से निवृत्त हो जाएं और संभव हो तो मंत्र जाप करने का संकल्प ले लें।
जब सूर्य ग्रहण का मध्य हो तो उस समय अपने इष्ट देव अथवा सूर्य देव की उपासना करें और उनके किसी मंत्र का जाप करें।
जब सूर्य ग्रहण समाप्ति के कगार पर हो तब दान करने का संकल्प लेकर दान करें।
सूर्य ग्रहण की समाप्ति पर दोबारा स्नान जरूर करें।
ग्रहण काल के दौरान आपको भगवान सूर्य देव की उपासना करनी चाहिए। उसके लिए आप आदित्य हृदय स्त्रोत्र या सूर्य अष्टक स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं या फिर आप सूर्य देव के किसी भी मंत्र का जाप कर सकते हैं।
ग्रहण काल से पूर्व ही पके हुए अन्न, कटी हुई सब्जी अथवा फलों, आदि को हटा देना चाहिए क्योंकि वह ग्रहण काल के दौरान अशुद्ध और संक्रमित हो सकते हैं।
यदि दूध, दही, घी, मक्खन, पनीर, अचार, चटनी, मुरब्बे, आदि कोई वस्तुएं घर में हों, जिनका दोबारा प्रयोग करना चाहते हैं तो उनमें तुलसी पत्र अथवा कुशा रख देना चाहिए।
ग्रहण काल में किसी भी धार्मिक ग्रंथ का पाठ किया जा सकता है।
ग्रहण काल में पवित्र नदियों और तीर्थ स्थानों पर स्नान करना और दान पुण्य करना विशेष फलदायी माना जाता है।
इसके अतिरिक्त श्री महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना सबसे उपयोगी माना जाता है और इसके जाप से स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
चूड़ामणि सूर्य ग्रहण होने के कारण इस दिन दान पुण्य का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।
यदि आपका जन्म लग्न अथवा जन्म राशि मिथुन अथवा सिंह है तो आपको सूर्य ग्रहण के दौरान विशेष रुप से सूर्य उपासना करनी चाहिए।
जिन लोगों का जन्म मृगशिरा अथवा आर्द्रा नक्षत्र में हुआ है उनको भी सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य उपासना जरूर करनी चाहिए और आवश्यक दान करने चाहिएं।

*ग्रहण काल में क्या न करें*

ग्रहण काल के दौरान भोजन बनाने और भोजन खाने से परहेज करना चाहिए।
छोटे बच्चों और बुजुर्गों को आवश्यक होने पर भोजन दिया जा सकता है।
ग्रहण काल के दौरान अपने घर के मंदिर को भी बंद रखें और किसी भी देवी देवता की मूर्ति को स्पर्श ना करें।
ग्रहण काल में शयन ना करें और इस समय में सहवास क्रिया से भी बचें।
ग्रहण काल में किसी भी प्रकार के सिलाई, कटाई, बुनाई का कार्य ना करें।
विशेष तौर पर गर्भवती महिलाओं को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि इसका असर उनके गर्भ में पल रही संतान पर पड़ सकता है।
नाखून काटना, बाल काटना, दाढ़ी बनाना, तेल मालिश करना, आदि ग्रहण काल और सूतक काल के दौरान नहीं करने चाहिएं।

*सूर्य ग्रहण का आपकी राशि पर प्रभाव*

सूर्य ग्रहण एक महत्वपूर्ण और बड़ी घटना है, जिसका प्रभाव प्रत्येक राशि के लोगों पर पड़ता है। यही वजह है कि बड़े-बड़े ग्रंथों में सूर्य और चंद्र ग्रहण के महत्व को बताया गया है और इस दिन दान पुण्य करना, पवित्र नदियों के जल में स्नान करना तथा मंत्र जप करना विशेष रूप से पुण्य फल देने वाला माना गया है। सूर्य ग्रहण मिथुन राशि में पड़ रहा है, इसलिए मिथुन राशि वाले लोगों को खासतौर पर इस ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचना चाहिए क्योंकि इसका प्रभाव सबसे अधिक उन पर ही होगा। विभिन्न राशियों पर सूर्य ग्रहण के प्रभाव को आप निम्नलिखित विवरण से जान सकते हैं:

मेष राशि

मेष राशि के लोगों के लिए यह ग्रहण तीसरे भाव में स्थान लेगा। इसकी वजह से आपको इसका कोई ज्यादा बड़ा दुष्प्रभाव नहीं मिलेगा बल्कि आपको आर्थिक तौर पर लाभ होगा और यह ग्रहण आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन की वजह बनेगा।

वृषभ राशि

वृषभ राशि के दूसरे भाव में सूर्य ग्रहण का प्रभाव सबसे अधिक प्रभाव दिखाएगा, जिसकी वजह से आपको आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है और धन हानि हो सकती है, इसलिए इस समय में धन का निवेश करने से आपको बचना चाहिए।

मिथुन राशि

मिथुन राशि के लोग इस सूर्य ग्रहण से सर्वाधिक प्रभावित होने वाले लोग होंगे क्योंकि ग्रहण आपकी ही राशि में पड़ रहा है, इसलिए आपको अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि आपके बीमार पड़ने अथवा चोट इत्यादि लगने की संभावना रहेगी। व्यर्थ की चिंताओं से दूर रहें और सकारात्मक जीवन शैली अपनाने का प्रयास करें।

कर्क राशि

कर्क राशि के लोगों के लिए सूर्य ग्रहण का प्रभाव विशेष रूप से बारहवें भाव में प्रभावित करेगा, जिसकी वजह से आपको धन हानि के योग बनेंगे और स्वयं का भी ध्यान आपको इस समय में रखना होगा क्योंकि स्वास्थ्य के मामले में यह समय कमजोर रहेगा।

सिंह राशि
सिंह राशि के लोगों के लिए यह ग्रहण ग्यारहवें भाव में होगा लेकिन सूर्य आपकी राशि का स्वामी है, इसलिए आपको इस ग्रहण का मध्यम फल प्राप्त होगा। इसकी वजह से आपको जीवन में आर्थिक तौर पर लाभ होंगे और आपकी प्रगति होगी लेकिन दूसरी तरफ आपका स्वास्थ्य चिंता जनक हो सकता है।

कन्या राशि

कन्या राशि के लोगों के दशम भाव में यह स्थिति बनेगी। इसके परिणाम स्वरूप आपको अपने काम में सफलता मिलेगी लेकिन इसके विपरीत, आपको किसी प्रकार का रोग हो सकता है और मन किसी अज्ञात भय से परेशान रहेगा।

तुला राशि

आपकी राशि से नवम भाव की राशि में सूर्य ग्रहण घटित होने के कारण आपकी मानसिक चिंताएं बढ़ेंगी और आपको अपनी संतान को लेकर कुछ समस्या का सामना करना पड़ सकता है। उनकी स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं। आपको मुख्य रूप से तीर्थ स्थल पर स्नान करना चाहिए।

वृश्चिक राशि

आपकी राशि से आठवीं राशि में ग्रहण होने के कारण इस सूर्य ग्रहण से आपको शत्रुओं का भय होगा और आप बिना वजह की चिंताओं से परेशान रहेंगे। सामान्य तौर पर लाभ होने के योग बन सकते हैं।

धनु राशि

आपकी राशि से सप्तम भाव की राशि में सूर्य ग्रहण घटित होने के कारण आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति चिंतित होना पड़ सकता है। इसके अलावा किसी प्रकार की शारीरिक चोट लगने की भी संभावना हो सकती है। आपको अपने जीवनसाथी के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना होगा।

मकर राशि

मकर राशि से छठे भाव की राशि में सूर्य ग्रहण घटित होने के कारण आपको किसी रोग से परेशानी हो सकती है और किसी प्रकार की गुप्त चिंता आपको पीड़ा दे सकती है। इस समय में आपको अपने शत्रुओं से सावधान रहना चाहिए।

कुंभ राशि

आपकी राशि से पंचम भाव में ग्रहण अधिष्ठित राशि होने से खर्चों में अधिकता रहेगी और आपकी आमदनी में गिरावट हो सकती है। आपके कामों में विलंब होगा और आपको संतान की चिंता रहेगी। प्रेम संबंधों के लिए यह समय कष्ट पूर्ण रहेगा।

मीन राशि

सूर्य ग्रहण आपकी राशि से चतुर्थ भाव की राशि में घटित होगा। इसकी वजह से आपको कामों में सफलता मिलेगी और आपके कार्य सफल होंगे। इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और आपको लाभ होगा।

*सूर्य ग्रहण का सामान्य फल एवं प्रभाव*

यह एक कंकण चूड़ामणि सूर्य ग्रहण है, जो आषाढ़ मास में घटित होने वाला है। इस माह में सूर्य ग्रहण के घटित होने से कुछ स्थानों पर सूखा पड़ने और नदियों का जल प्रवाह कम हो जाने की स्थिति बन सकती है। भारत के पड़ोसी देशों, चीन, अफ़गानिस्तान और भारत के कश्मीर राज्य के कुछ भागों में राजनीतिक उठापटक तथा प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति बन सकती है। इसके प्रभाव से पैदावार की कमी होने का अंदेशा रहेगा। यह ग्रहण रविवार को होगा जिसकी वजह से वर्षा की कमी और खाद्यान्न के उत्पादन में कमी हो सकती है तथा प्रमुख राष्ट्रों के बीच तनाव और युद्ध जैसी स्थितियों का निर्माण हो सकता है।

मिथुन राशि में सूर्य ग्रहण घटित होने के कारण केंद्रीय सत्तारूढ़ पार्टी के लिए यह समय थोड़ा सा चुनौतीपूर्ण हो सकता है। वर्षा कहीं अल्प होगी और कहीं अधिक वर्षा होगी। प्राकृतिक प्रकोप का असर होगा तथा पाकिस्तान के लिए भी यह समय काफी कठिन होने वाला है। यह सूर्य ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र में विशेष रूप से प्रभाव दिखाएगा, जिसकी वजह से फलों, पुष्पों और वस्त्रों का काम करने वाले व्यापारियों तथा मदिरापान करने वाले लोगों को इस ग्रहण के फल स्वरुप कुछ कष्टों का सामना करना पड़ सकता है।
यह ग्रहण गंड और वृद्धि योग के बीच घटित होगा, जिसकी वजह से साधू, सन्यासियों, डॉक्टरों, तांत्रिकों तथा दक्षिणी क्षेत्र में रह रहे लोग विशेष रूप से इससे प्रभावित होंगे। इस प्रकार यह सूर्य ग्रहण विभिन्न प्रकार के फल देने में सक्षम होगा इसका प्रभाव लगभग छह माह तक हो सकता है। क्योंकि यह ग्रहण भारत वर्ष में दिखाई देगा, इसलिए हमारे देश पर भी इसका व्यापक असर दृष्टिगोचर होगा।

*जून का महीना सूर्य ग्रहण से बनेगा खास*

जून का महीना बहुत खास रहने वाला है क्योंकि इस महीने में चंद्र ग्रहण भी हो चुका है और अब सूर्य ग्रहण पड़ने जा रहा है। केवल इतना ही नहीं, इस महीने में छह प्रमुख ग्रह बृहस्पति, शनि, मंगल, शुक्र और राहु, केतु वक्री गति में होंगे। राहु और केतु तो सदैव वक्री रहते हैं लेकिन अन्य ग्रहों के एक साथ वक्री होने की वजह से आने वाला समय किसी बड़ी प्राकृतिक आपदा के आने की ओर इंगित करता है। ऐसे में बड़े राष्ट्रों के मध्य सत्ता का संघर्ष और देश में आंतरिक समस्याओं में बढ़ोतरी होने का अंदेशा रहेगा।
कुछ बड़े नेताओं का जाना और बाढ़ और भूकंप जैसी स्थितियों का निर्माण हो सकता है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आसपास मई के महीने में भूकंप भी आ चुका है। इस ग्रहण का प्रभाव लगभग जनवरी 2021 तक रहेगा। कोरोना संक्रमण के इस दौर में पड़ने वाला यह सूर्य ग्रहण कुछ हद तक कोरोना वायरस के संक्रमण में कमी लाने की ओर इशारा कर रहा है लेकिन हम सभी को जागरूक होकर अपने स्वास्थ्य के प्रति सभी आवश्यक उपाय करने चाहिए तथा प्रकृति का संरक्षण करना चाहिए।

इस प्रकार से जून महीने में चंद्र ग्रहण और ग्रहों के वक्री होने के बीच पड़ने वाला यह सूर्य ग्रहण काफी प्रभावशाली होगा। हम सभी को ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि वह हमें सही रास्ता दिखाएं और हम आने वाली समस्याओं से काफी हद तक सुरक्षित हो जाएं।

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