रिपोर्टर – रतन गुप्ता सोनौली
*करीब 15 साल पहले जिले में हुए करोड़ों के अनाज घोटाले में बलिया के तीन पूर्व सीडीओ पर भ्रष्टाचार का मुकदमा चलेगा। प्रदेश सरकार ने इसकी अनुमति दे दी है। शासन ने घोटाले की जांच इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (ईओडब्ल्यू) और सीबीआई से अलग-अलग कराई थी। तीनों सीडीओ सेवानिवृत्त हो चुके हैं।*
*जिले में साल 2002-03 से 2005-06 के बीच संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना के तहत करोड़ों का अनाज घोटाला सामने आया था। वर्ष 2005 में ही शासन ने इसकी सीबीसीआईडी जांच का आदेश दिया था। सीबीसीआईडी ने 17 ब्लॉकों में हुई गड़बड़ी को देखते हुए अलग-अलग थानों में कुल 51 मुकदमे दर्ज कर जांच शुरू कर दी।*
मुकदमों में 2002-03 से 2005-06 के बीच रहे सभी सीडीओ, पीडी, डीडीओ, बीडीओ, तहसीलदार, पूर्ति निरीक्षक, ट्रांसपोर्टर, ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सचिव समेत कुल 6055 अधिकारियों और कर्मचारियों को आरोपी बनाया गया था। फिर शासन ने जांच ईओडब्ल्यू को सौंप दी। उसी दौरान जिले के कुछ लोगों ने घोटाले की सीबीआई जांच के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी थी।
*हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने आठ मुकदमे अपने अधीन लेते हुए जांच शुरू कर दी। उधर, ईओडब्ल्यू वाराणसी की ओर से भी जांच की गई। कुछ मामलों की जांच अभी जारी है*।
*ईओडब्ल्यू ने 21 जून 2002 से 14 अक्तूबर 2003 तक सीडीओ रहे राममूर्ति राम, 18 फरवरी 2004 से 11 अक्तूबर 2004 तक सीडीओ रहे अश्वनी कुमार श्रीवास्तव और 11 अक्तूबर 2004 से चार दिसंबर 2004 तक सीडीओ रहे दीनानाथ पटवा को अनियमितता में दोषी पाया और माना कि तीनों आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 468, 471, 477, 120 बी/34 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2) के तहत दंडनीय अपराध का मामला बनता है।*
*शासन ने बलिया के अनाज घोटाले में दोषी मिल तत्कालीन तीन सीडीओ पर भ्रष्टाचार का मुकदमा चलाने के लिए अनुमति दे दी है। अब इनके खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।*
– *केएम मिश्रा, इंस्पेक्टर, ईओडब्लू, वाराणसी*