*रिपोर्टर रतन गुप्ता*

*घर की याद में हरिश्चन्द्र मंगलवार की सुबह मुम्बई से बाइक चलाकर महराजगंज के धानी क्षेत्र के बरजी गांव अपने घर पहुंच गया। इस दौरान उसके चेहरे उदास थे। माथे पर थकान की लकीरें साफ दिखीं। बेटे के गांव पहुंचने पर पिता मुन्नर और माता सम्पाती की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा।*
*मुम्बई से यहां तक सफर में झेलीं कई दुश्वारियां*
*हरिश्चन्द्र ने बताया कि उसे रास्ते में कई दुश्वारियां झेलनी पड़ी हैं। कई बार पुलिस की मार का डर सताया तो कभी रास्ता भूलने की चिंता रही। रात में बिना खाए सोना मजबूरी बन गई। कोरोना के खौफ से मुम्बई के हालात बिगड़े हुए हैं। न तो वहां खाने की व्यवस्था है और न ही पानी पीने की। लॉकडाउन में सभी दुकानें बंद हो गई हैं। उसने बताया कि शनिवार की सुबह बाइक से घर पहुंचने को ठानी। सफर की शुरुआत में थोड़ी दिक्कत महसूस हुई, लेकिन भगवान को सहारा मानकर बाइक को आगे बढ़ाया। रास्ते में कई जगह पुलिस वालों ने रोका। कहीं भोजन की दुहाई देकर बच निकला, तो कहीं पुलिस की सख्ती भी सहनी पड़ी। तीन दिन सफर मुश्किल से पूरा की।*
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