*बता दें कि पडरौना विकास खण्ड के ग्राम सभा बरवा कला में मुसहरों के कुल 18 परिवार हैं. ग्रामीणों के अनुसार लगभग तीन सप्ताह पूर्व गांव के दो बच्चों को चेचक का प्रकोप हुआ*
*रिपोर्टर रतन गुप्ता*
*कुशीनगर. कोरोना वायरस के इस संक्रमण काल में मुसहरों का एक पूरा गांव ही चेचक के चपेट में आ गया है. एक तरफ मुसहरों को लॉक डाउन के कारण काम न मिलने से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं इस संकट की घड़ी में चेचक ने उन्हें और अधिक संकट में ला खड़ा किया है. इस मामले पर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही भी इसके प्रकोप को और फैलने पर मजबूर कर रही है और ये मुसहर कोरोना के भय और चेचक का आतंक झेल रहे हैं. पिछले 15 दिनों से इस मुसहर बस्ती के लोग चेचक के प्रकोप से त्रस्त हैं और जिले का स्वास्थ महकमा हाथ पर हाथ धरे बैठा है*.
*ज्यादा शोर मचा तो एक एएनएम गांव में गई और सिर्फ दवाईंया बांटकर अपनी जिम्मेदारी से छुट्टी पा लिया. चिकित्सा अधीक्षक गांव में गये तो सिर्फ फोटो खिंचवाकर वापस आ गये. उन्होंने ना तो कोई जांच की और ना ही किसी तरह का छिड़काव ही गांव में कराया. बता दें कि पडरौना विकास खण्ड के ग्राम सभा बरवा* *कला में मुसहरों के कुल 18 परिवार हैं. ग्रामीणों के अनुसार लगभग तीन सप्ताह पूर्व गांव के दो बच्चों को चेचक का प्रकोप हुआ. इसकी सूचना पर आशा ने इन्हें दवा का टिकिया थमा दिया लेकिन इतने मात्र से यह ठीक होने के बजाय धीरे-धीरे यह पूरे गाँव मे फैल गया. वर्तमान समय में मुसहरों का कोई ऐसा परिवार नहीं है जो चेचक से अछूता हो*.
*मुसहरों के इस तस्वीर को देख कर स्थिति देख का अन्दाजा लगाया जा सकता है. ग्रामीण बिदुर कुशवाहा ने बताया कि इसकी सूचना सीएचसी प्रभारी को शुरुआत में ही दे दी गयी थी. लेकिन अब तक कोई ऐसा कदम नहीं उठाया गया. जिससे इन मुसहरों को चेचक के प्रकोप से बचाया जा सके. ग्रामीण शम्भू प्रसाद आरोप है कि ग्राम प्रधान द्वारा गांव में अब तक दवा का छिड़काव भी नहीं कराया है. वहीं सीएचसी प्रभारी से जब इस पर सवाल किया गया तो वे खुद का बचाव करते हुए दिखे. स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही ने इस वैश्विक संकट काल में मुसहरों को मौत के मुहाने पर खड़ा कर दिया है*