*बाबरी विध्वंस मामले (Babri Demolition Case) में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (Kalyan Singh) शुक्रवार को लखनऊ की सीबीआई कोर्ट मे*
*बाबरी विध्वंस केस: कल्याण सिंह लखनऊ की CBI कोर्ट में हुए पेश, दी सरेंडर एप्लीकेशन।
*रिपोर्टर रतन गुप्ता सोनौली
*लखनऊ. – बाबरी विध्वंस मामले (Babri Demolition Case) में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (Kalyan Singh) शुक्रवार को लखनऊ की सीबीआई कोर्ट (CBI Special Court) में पेश हुए. कल्याण सिंह की तरफ से वकीलों ने कोर्ट में सरेंडर एप्लीकेशन दाखिल की है.
मामले में कुछ ही देर में सुनवाई होगी. माना जा रहा है कि कल्याण सिंह आज ही जमानत अर्जी भी दाखिल करेंगे. दरअसल सीबीआई की विशेष अदालत (Special Court) ने कल्याण सिंह को कोर्ट में पेश होने के लिए आदेश जारी किया है. इस आदेश के मुताबिक, कल्याण सिंह को 27 सितंबर को सीबीआई की विशेष अदालत में पेश होना* है.
*आडवाणी, जोशी, उमा भारती सहित अन्य को मिल चुकी है जमानत*
दरअसल कल्याण सिंह के राजस्थान के राज्यपाल पद से हटने के बाद सीबीआई से कोर्ट ने दस्तावेजी प्रमाण की मांग की थी. हालांकि, अब तक सीबीआई की तरफ से दस्तावेज पेश न करने के बावजूद कोर्ट ने यह आदेश किया है. इससे पहले कल्याण सिंह ने कहा था कि वो सीबीआई कोर्ट में पेश होकर अपना पक्ष रखने के लिए तैयार हैं. बता दें कि इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास जमानत पर हैं.
*राज्यपाल होने के कारण आरोपी के तौर पर नहीं हो सकते थे पेस*
*गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल, 2017 को बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र के आरोप फिर से बहाल करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही यह भी स्पष्ट किया था कि 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को मुकदमे का सामना करने के लिए आरोपी के तौर पर बुलाया नहीं जा सकता क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राज्यपालों को संवैधानिक छूट मिली हुई है.*
*बता दें कि जिस समय सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की थी, उस समय कल्याण सिंह राजस्थान के राज्यपाल के पद पर थे. संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राष्ट्रपति और राज्यपालों को उनके कार्यकाल के दौरान आपराधिक और दीवानी मामलों से छूट प्रदान की गई है. इसके अनुसार, कोई भी अदालत किसी भी मामले में राष्ट्रपति या राज्यपाल को समन जारी नहीं कर सकती.