*5 जून को होगा साल का दूसरा चंद्र ग्रहण*

*पंo दिनेश चन्द्र पाठक*

चंद्र ग्रहण वैसे तो एक खगोलीय घटना है लेकिन प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में असर डालने के कारण इस घटना को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। विज्ञान, खगोल और ज्योतिष चंद्र ग्रहण को काफी महत्वपूर्ण मानते हैं। यह हमारे जीवन में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही तरह के परिणाम लेकर आते हैं, क्योंकि, नवग्रहों की यह चाल हमारे जीवन में कई तरह के बदलाव लाने का दम रखती है। वर्ष 2020 में कुल चार चंद्रग्रहण घटित होने हैं, जिनमें से पहला चंद्रग्रहण 10 – 11 जनवरी 2020 को घटित हो चुका है और अब दूसरी बार यह चंद्र ग्रहण 5 – 6 जून को घटित होगा।

यह ग्रहण शुक्रवार / शनिवार को पड़ेगा। इस ग्रहण की खास बात यह है कि यह चंद्रग्रहण पूर्ण या आंशिक चंद्रग्रहण ना होकर केवल एक उपछाया चंद्रग्रहण कहलाएगा। इस ग्रहण का स्पर्श रात्रि 11:16 पर होगा और मध्य अर्थात परम ग्रास  5 जून की रात्रि 12:55 (6 जून की सुबह) पर होगा तथा ग्रहण का मोक्ष रात्रि  2:34 पर होगा ।

*कहां-कहां देखा जाएगा चंद्र ग्रहण*

हिंदू पंचांग के अनुसार यह ग्रहण वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र में, ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा तिथि को होगा। यह ग्रहण भारत वर्ष में ग्रहण के स्पर्श से लेकर मोक्ष तक देखा जा सकता है। भारत के अतिरिक्त यह उपच्छाया ग्रहण यूरोप के अधिकांश भागों, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, एशिया, दक्षिणी अमेरिका (जिसमें पूर्वी ब्राजील, उरुग्वे और पूर्वी अर्जेंटीना शामिल हैं), प्रशांत तथा हिंद महासागर आदि क्षेत्रों में देखा जा सकेगा।

*साल 2020 में पड़ेंगे चार चंद्र ग्रहण*

यह साल जैसा कि अबतक देखा ही जा चुका है, कि कई मायनों में काफी अलग होने वाला है। यह साल काफी खास रहने वाला है क्योंकि इस साल में कुल 4 चंद्रग्रहण घटित होने वाले हैं, इनमें पहला चंद्रग्रहण 10 से 11 जनवरी को घटित हो चुका है। उसके बाद 5 से 6 जून को दूसरा चंद्र ग्रहण होगा। तीसरा चंद्र ग्रहण 5 जुलाई को होगा और साल का अंतिम चंद्रग्रहण 30 नवंबर को देखा जा सकेगा। जून, जुलाई और नवंबर में पड़ने वाले चंद्र ग्रहण उपच्छाया चंद्रग्रहण ही होंगे।

*क्या होता है उपच्छाया चंद्र ग्रहण*

अक्सर हमारे दिमाग में है विचार आता है कि आखिर उपच्छाया चंद्रग्रहण अन्य चंद्र ग्रहण से अलग क्यों होता है और क्या होता है उपच्छाया चंद्र ग्रहण। तो हम आपको बताना चाहेंगे कि चंद्रग्रहण पूर्ण रूप से भी हो सकता है और आंशिक रूप से भी। इसके अलावा, उपच्छाया चंद्रग्रहण होता है। यह वास्तविकता में कोई चंद्रग्रहण नहीं होता बल्कि इसे समझने के लिए आपको ध्यान देना चाहिए कि जब भी चंद्रग्रहण घटित होता है तो उससे पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश करता है, इसी को चंद्र मालिन्य कहा जाता है। इस उपछाया से निकलने के बाद ही चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया के अंतर्गत प्रवेश करता है और यदि ऐसा होता है, तभी वह वास्तविक रूप से पूर्ण अथवा आंशिक चंद्रग्रहण कहलाता है। अनेक बार ऐसा होता है कि जब पूर्णिमा को चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करने के बाद वहीं से बाहर निकल जाता है और पृथ्वी की असली छाया में प्रवेश नहीं करता तो ऐसी स्थिति में चंद्रमा की सतह धुंधली महसूस होने लगती है और उसका बिम्ब धुंधला पड़ जाता है। पूर्ण रूप से काला या छायादार नहीं होता। यह इतना हल्का होता है कि अपनी नग्न आंखों से भी आसानी से नहीं देखा जा सकता। इसी को उपच्छाया चंद्रगहण कहा जाता है। इसमें चंद्रमा का कोई भी भाग ग्रसित नहीं होता, इसलिए मुख्य रूप से इसे ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता है और विभिन्न धर्म शास्त्रों के अनुसार क्योंकि इसमें चंद्रमा केवल मलिन होता है, ग्रसित नहीं होता, इसलिए इसे ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता।

*उपच्छाया चंद्र ग्रहण और सूतक काल*

चूँकि उपच्छाया चंद्र ग्रहण ग्रहण की श्रेणी में नहीं गिना जाता, इसलिए इसका सूतक भी मान्य नहीं होता और इस दिन पूर्णिमा से संबंधित व्रत, उपवास, दान, आदि सामान्य अनुष्ठान किए जा सकते हैं और किसी भी प्रकार के सूतक का पालन करना आवश्यक नहीं होता। यह उपाय किसी भी इंसान के जीवन को बेहतर बनाने के लिए बेहद उपयोगी होते हैं। इसके विपरीत वर्तमान समय में कुछ लोग मानने लगे हैं कि उपच्छाया चंद्र ग्रहण में सूतक प्रभावी होता है। ऐसे में हम यह आप पर छोड़ते हैं कि आप क्या मानते हैं। वास्तविक वस्तुस्थिति से हम आपको अवगत करा चुके हैं।

यदि आप इस उपच्छाया ग्रहण के सूतक काल को मानना चाहते हैं तो आपको निम्नलिखित कार्यों को करना उत्तम रहेगा:

*चंद्रग्रहण के सूतक काल में किये जाने वाले काम*

चंद्र ग्रहण की अवधि में आपको अपने इष्ट देव की पूजा अर्चना करनी चाहिए और सबसे आसान तरीका है उनका ध्यान करें और संभव हो तो उनके मंत्र का जाप करें।
क्योंकि यह चंद्रग्रहण है तो आपको चंद्र देव के बीज मंत्र ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः अथवा चंद्र मंत्र ॐ चं चंद्रमसे नमः का यथाशक्ति जाप करना चाहिए। ऐसा करने से आपको ग्रहण के प्रभाव से मुक्ति मिलती है।
ग्रहण काल में प्राणायाम और ध्यान करना सर्वोत्तम माना गया है। इसके अतिरिक्त, आप किसी सुपात्र को दान भी दे सकते हैं।
आप चाहें तो दान और पुण्य कर्म कर सकते हैं तथा उपवास रख सकते हैं।

*सूतक काल में न किये जाने वाले काम*

यदि आप उपच्छाया चंद्र ग्रहण के सूतक को मानते हैं तो आपको इस दौरान ना तो भोजन बनाना चाहिए और ना ही भोजन करना चाहिए।
घर में रखे दूध अथवा जल में तुलसी पत्र डालकर रखें, जिससे वह अशुद्ध ना हो और पुनः प्रयोग में लिया जा सके।
ग्रहण अथवा सूतक काल में शयन करना अथवा सहवास करना भी वर्जित होता है ।
सूतक काल में अपने मंदिर के दरवाजों को बंद रखें और मन ही मन ईश्वर का भजन करें।
इस प्रकार चंद्र ग्रहण के दौरान नियम पालन किया जा सकता है।

*चंद्र ग्रहण के दिन ग्रहों की स्थिति*

ग्रहों की स्थिति का किसी भी बड़ी घटना में विशेष योगदान होता है। यदि हम चंद्रग्रहण के घटित होने के दिन ग्रहों की जांच करें तो हम देखेंगे कि उस अवधि में 5 ग्रह वक्री अवस्था में होंगे। राहु और केतु सदैव वक्री स्थिति में रहते हैं। इनके साथ ही बृहस्पति भी वक्री होगा और शुक्र तथा शनि भी वक्री गति से चल रहे होंगे। इतने सारे ग्रहों का वक्री होना किसी बड़ी आपदा की ओर इंगित करता है। अर्थव्यवस्था में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है और सरकार द्वारा कुछ नए करों को लगाया जा सकता है। लेकिन इसका अच्छा पक्ष यह है कि देश की जनता जागरूक होगी और  असामाजिक तत्वों को इस समय में मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा। देश को सामरिक तौर पर ज्यादा सतर्क रहना होगा और जनता की  आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कुछ नए कदम उठाये जाएंगे। इसके अतिरिक्त, देश के अंदर लोगों के स्वास्थ्य में कमी आ सकती है, इसलिए हम सभी को जागरूक रहना चाहिए और किसी भी प्रकृति की समस्या से लड़ने में अपना पूर्ण योगदान देना चाहिए।

*क्यों खास है यह चंद्रग्रहण*

वैसे तो उपच्छाया चंद्रग्रहण ज्यादा मान्य नहीं है  लेकिन देश काल और परिस्थितियों के अनुसार कई स्थितियों में परिवर्तन भी देखा जाता है। यह जून महीने में पड़ने वाला पहला ग्रहण है। इसके बाद सूर्यग्रहण भी पड़ेगा। कोरोनावायरस के संक्रमण काल में पड़ने वाले ये ग्रहण अपने आप में काफी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि कुछ ज्योतिषियों का यह भी मानना है कि दिसंबर 2019 में घटित हुआ सूर्य ग्रहण काफी महत्वपूर्ण था और उसी के बाद से कोरोना संक्रमण बढ़ा है। अब इस महीने दो ग्रहण एक ही महीने में होना काफी महत्वपूर्ण है। वैसे भी चंद्रमा का संबंध मन और कफ प्रकृति से होता है और संक्रमण काल में चंद्रमा का पीड़ित होना काफी गहरा प्रभाव छोड़ने में सक्षम है। हालांकि हमारा ऐसा मानना है कि इस चंद्र ग्रहण का प्रभाव सकारात्मक रहेगा और देश में कोरोनावायरस के चक्रव्यूह का तोड़ निकालने में सफलता मिलेगी और जनमानस को भारी क्षति से बचाने के प्रयास तेज होंगे।

हमें इस चंद्रग्रहण के माध्यम से यह सोच विकसित करनी होगी कि संतुलित जीवनचर्या का पालन करके हम कोरोनावायरस जैसी बीमारियों और संक्रमणों से काफी हद तक सुरक्षित रह सकते हैं। अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का प्रयास करें ताकि आप स्वस्थ एवं निरोगी रह सकें।

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