*गोरखपुर के पूर्व MLA पर टूटा बारिश का कहर, परिवार संग बरामदे में रहने को मजबूर-*

एस पी न्यूज(सवांददाता)*पूर्व विधायक  बताते हैं कि उनकी मां और पिता चाहते थे कि वो पढ़ लिख कर इंजीनियर बनें. लेकिन वो नौकरी करने से दूर भागते थे. और फिर वो कांग्रेस के साथ जुड़ गये।गोरखपुर के पूर्व MLA पर टूटा बारिश का कहर, परिवार संग बरामदे में रहने को मजबूर।गोरखपुर. मौजूदा दौर में अगर को कोई विधायक बन जाये तो उसके आगे पीछे लग्‍जरी गाडि़यों का काफिला घूमने लगता है. आलीशान कोठी उसकी पहचान होती है. पर 80 के दशक के विधायक अपनी ईमानदारी को ही अपना सबकुछ मानते थे तभी तो कभी पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के करीबी रहे हरिद्वार पांडेय जो 1980 से 1985 तक गोरखपुर (Gorakhpur) जिले के मानीराम विधानसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर जीत कर विधायक (MLA) बने थे. वो आज भी मानीराम गांव स्थित अपने पुस्तैनी खपरैल के मकान में परिवार के साथ रहते हैं. मानसून की बारिश के बीच 12 जुलाई की रात को उनका खपरैल के मकान एक हिस्सा गिर गया. कभी स्वाभिमान से समझौता नहीं करने वाले हरिद्वार पांडेय इस बात को भी किसी से साझा नहीं किया. पर जैसे ही कांग्रेस के नेताओं को इसकी भनक लगी वो उनसे मिलने उनके घर पर गये*.

*कांग्रेस की जिलाध्यक्ष निर्मला पासवान ने मंगलवार को उनके घर पर जाकर उनसे मुलाकात की और फिर हरिद्वार पांडेय की स्थिती के बारे में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को अवगत कराया. निर्मला ने कहा कि मेरा प्रयास होगा कि विधायक जी का मकान जल्द से जल्द निर्माण कराया जाए. जिससे उन्हे और उनके परिवार को एक छत मिल सके*.

*खपरैल का मकान गिरने से बेघर हुए पूर्व विधायक*

*बता दें कि 1980 से 85 तक कांग्रेस क विधायक रहे हरिद्वार पांडेय हाईस्कूल पास हैं, हरिद्वार पांडेय ने बताया कि रविवार रात खपरैल के मकान के चारों कमरे भरभरा कर गिर गए. बस एक बरामदा बचा रह गया. पूर्व विधायक ने पूरे परिवार संग उसी बरामदे में शरण ली*

*पूर्व विधायक बताते हैं कि उनकी मां और पिता चाहते थे कि वो पढ़ लिख कर इंजीनियर बनें. लेकिन वो नौकरी करने से दूर भागते थे. और फिर वो कांग्रेस के साथ जुड़ गये. पूर्व विधायक को सत्ता का साथ पसंद नहीं आया, ईमानदारी उनकी प्राथमिकता में रही है और नौतिकता के उच्च मानदंडो को बनाये रखे. शायद तभी जब वीर वहादुर सिंह यूपी के सीएम बने तो वो उनसे भी दूरी बना लिए थे, पांडेय कहते हैं कि ईमानदारी से साथ मरते दम तक नहीं छोडूंगा, चाहे उसके लिए कोई भी कीमत चुकानी पड़े*.

*पूर्व विधायक के पास जमापूंजी के नाम पर ढाई बीघा जमीन और खपरैल का मकान है. जो अब टूट चुका है. वर्तमान में पूर्व विधायक के रूप में जो पेंशन मिलती है, उसी से उनके घर का खर्च चलता है*.

जिला सवांददाता-रतन गुप्ता की रिपोर्ट

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