टूटते परिवारों के लिए नजीर

महराजगंज(ब्यूरो)समाज में संयुक्त परिवार प्रणाली बहुत प्राचीन समय से विद्यमान रही है।जिसका उल्लेख हमारे शास्त्रों में भी मिलता है।संयुक्त परिवार समाजिक संगठन की मौलिक इकाई है।समाजिक सुरक्षा के रूप में संयुक्त परिवार में हर सदस्य,मर्यादाओं,अनुशासन,नैतिकता और कर्तव्य के प्रति अपना आत्मदान करता है।
हताश होते जीवन और बढ़ती वैमनष्यता के लिए परिवारों के टूटन भी जिम्मेदार है।व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा ने सार्वजनिक हित की हमारी परंपरा को भारी ठेस पहुँचाई है।जब परिवार तरक्की के नाम पर टूट गए।सहोदर भइयो के बीच बोल-चाल बन्द हो।माँ-बाप के लिए अनाथालय अस्तित्व में आ गए।
ऐसे  दौर में गोरखपुर जनपद के स्वावलंबी इंटर कॉलेज विशुनपुरा  के पूर्व प्राचार्य छत्रधारी यादव का 72 सदस्यो का परिवार औरो के लिए नजीर बना हुआ है।
गोरखपुर मुख्यालय से 27 किलोमीटर दूर विकास -खण्ड ब्रह्मपुर में स्थित जिले की बड़ी गाँव सभाओ में से एक ऐतिहासिक महत्व वाले गांव ‘राजधानी’ एक संयुक्त परिवार के कारण भी चर्चा का केंद्र बना रहता है।यद्यपि कि इस गांव का समीकरण बुद्ध कालीन गणराज्य पिपलिवन से लगाया जाता है।असहयोग आंदोलन के दौरान हुए चौरी-चौरा कांड के नायक अब्दुल्लाह जिनके खिलाफ ब्रिटिश हुक़ूमत बनाम अब्दुल्लाह का मुकदमा चला था और कई नाम राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़े है जो इसी गांव के हैं।ऐतिहासिक महत्व वाले इस गांव में संयुक्त परिवार के अनिवार्य शर्तों मसलन एक तवे की रोटी,एक छत का निवास,तीन पीढ़ियों का साथ,सम्मलित आय,सम्मलित तरक्की आदि के साथ रहता है यह कुनबा।
आवास चार खण्डों में विभक्त है जिसमे भोजनालय , गौशाला,अतिथिशाला और आवास।आवास के बगल में वाटिका ,ट्यूवेल और अच्छी बिजली के लिये ट्रांसफार्मरऔर शुद्ध पेयजल के लिए जल केंद्र है।
गांव के किसान और पशुपालक राजबली यादव के चार पुत्र और एक पुत्री है जिनके बड़े पुत्र जिले के प्रतिष्ठित कॉलेज के प्राचार्य रह चुके स्वर्गीय रामचन्द्र यादव ने प्रारम्भ में शिक्षा का अलख जगाकर परिवार को शून्य से आगे बढ़ाया।दूसरे पुत्र राम कवल यादव जो दिवंगत है एक मजे हुए किसान थे।तीसरे पुत्र छत्रधारी जो उच्च शिक्षित है एक कॉलेज के अवकाश प्राप्त प्रधानाचार्य है और गांव के वर्षो से प्रधान रहे हैं।पुत्री गिलासी देवी की शादी पंजाब नेशनल बैंक के अधिकारी आर.एस यादव से वाराणसीे में हुई है।चौथे पुत्र पौहारी शरण यादव पूर्वी रेलवे कोलकाता में स्पोर्ट्स के जनरल सेक्रेटरी रहे हैं।परिवार के मुखिया ग्राम प्रधान छत्रधारी यादव अपना आदर्श अपने बड़े भाई स्वर्गीय आचार्य राम चन्द्र यादव को मानते है उनका कहना है भाई-भाई की भुजा होता है।संयुक्त परिवारों में बिपत्ति को झेल जाने की अद्भुत क्षमता होती है।बच्चो के लालन -पालन में आसानी होती है।परिवार में कार्य का विभाजन है सुधाकर यादव खेती किसानी और पशुपालन की जिम्मेदारी सम्भालते है उनके सहयोग के लिए गांव के गुलहसन और भरत हैं।सब्जी और दूध के लिये परिवार बाजार पर आधारित नही है उक्त जरूरते पुश्तैनी खेती और पशुपालन से पूरा हो जाता है। दिवाकर यादव उत्तर-प्रदेश परिवहन में ट्रैफिक इंस्पेक्टर है।जबकि अखिलेश रेलवे,शैलेश पुलिस,कमलेश सेना,सुरेश यादव पंचायत राज विभाग,गिरिजा देवी बाल एवम पुष्टाहार विभाग और सतपाल इंजीनियर हैं।परिवार के आदर्श रामचन्द्र यादव के नाम से आर सी चिल्ड्रेन,राम चन्द्र यादव इंटर कॉलेज और डिग्री कॉलेज है जिसकी जिम्मेदारी उच्चशिक्षित राम उग्रह यादव और डॉ राकेश यादव निभाते है।परिवार के योगेंद्र यादव ‘जिज्ञासु ‘,डॉ रेणु यादव,सुचित्रा यादव,उमेश यादव,सुचिता यादव और जयंती यादव शिक्षक हैं।
दीपिका,प्रियम्वदा,ममता,रतन  पाल ,कुंवरपाल,समर पाल,गौरव आदि उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
धर्मपाल ,कृष्णपाल,राजदीप , शौरभ,पार्थ, प्रज्वल,उज्ज्वल,पथ्या,गार्गी,निशांत,शिवांगी,नितिन,आदेश अविरल,दीप शिखा व स्वधा आदि के स्कूली दिन हैं।
परिवार को सजोने में वयोवृद्ध छबिया देवी,शांति और चंद्रावती देवी की विशेष भूमिका है।भोजन घर की महिलाएं मिल-जूल कर बना लेती हैं।शादी-विवाह ,तीज त्योहार सब में गज़ब का मेल- जोल होता है।इस परिवार में रोज होली दीवाली का माहौल होता है।भारत में संयुक्त रहने की परंपरा रही है उदारीकरण के बाद परिवार तेजी से टूटे है सहोदर भाई,चाचा,बुआ चाची,दादी जैसे शब्द दस्तावेज का रूप लेने वाले है ऐसे में यह परिवार बतौर मिशाल पूरी एकजुटता से स्वस्थ्य परंपरा को निभाने में लगा है।जबसे उदारीकरण शुरू हुआ एक अलहदा प्रयोग हुआ।औद्योगिक घराने अपने व्यापारिक हित के लिए संयुक्त होते है लेकिन संयुक्त रहने की सम्वेदनशील परंपरा को चोट करके एक नवप्रयोग शुरू कर दिए जो तीज-त्योहार और विशेष मौको पर इक्कट्ठा होकर संयुक्त परिवार की परंपरा को सीधे नही तो टेढे आगे बढ़ा रहे हैं। खैर- कुछ नही से कुछ बेहतर होता ही है।
समाज शास्त्रियों का कहना है– ”परिवारों को टूटन से बचाया जा सकता है इसके लिए जरूरी है अनुशासन ,संस्कार,रोजगार परख शिक्षा और नैतिक मूल्य।’अगर परिवारों में विभाजन रुक जाय तो तमाम समस्याएं अपने आप हल हो जाएँगी।वास्तव में विभाजन एक अंतहीन दर्द है।बात चीत के दौरान परिवार के सदस्य शिक्षक योगेन्द्र जिज्ञासु बताते हैं — संयुक्त परिवार के कारण खेती-बारी, घर-द्वार तालाब ,स्कूल-कॉलेज आदि से घर परिवार की स्थिति मुक्कमल है,हां एक मज़े की है परिवार के सदस्यों में अभी अतिरिक्त महत्वाकांक्षा नहीं है इसलिए जीवन शैली खास नहीं बल्कि आम है।परिवार के जिम्मेदार लोग समाजिक सरोकार से जुड़े हैं विभिन्न मौकों पर सामाजिक मुद्दों से जुड़े कार्यक्रम इत्यादि कराते रहते हैं।मसलन हाल में ही चौरी चौरा जनविद्रोह पर एक बड़े स्तर पर कार्यक्रम,नारी सशक्तिकरण आदि पर कार्यक्रम आयोजित हुए हैं। निःसंदेह यह परिवार आज के बिगड़ी परिस्थिति में अन्य लोगों के लिए प्रेरक और नजीर है।

जिला प्रभारी महराजगंज-राम प्रवेश यादव की विशेष रिपोर्ट

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